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नज़्म
मक़्बूल-ए-आम भी है ये हर-दिल-अज़ीज़ भी
सच बात तो ये है कि ये सब की ज़बान है
हबीब अहमद अंजुम दतियावी
नज़्म
सैर के क़ाबिल है दिल सद-पारा उस नख़चीर का
जिस के हर टुकड़े में हो पैवस्त पैकाँ तीर का