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नज़्म
ता-अबद आते रहेंगे
अबू-तालिब के बेटे हिफ़्ज़-ए-नामूस-ए-रिसालत की रिवायत के अमीं थे
इफ़्तिख़ार आरिफ़
नज़्म
नियाज़-ओ-नाज़ में फ़र्क़-ए-मरातिब कोई क्या समझे
जबीं पहले झुकी या खिंच के आया आस्ताँ पहले
मुनीर वाहिदी
नज़्म
ज़िंदगी महबूब ऐसी दीदा-ए-क़ुदरत में है
ज़ौक़-ए-हिफ़्ज़-ए-ज़िंदगी हर चीज़ की फ़ितरत में है
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
मुल्क-ओ-दौलत है फ़क़त हिफ्ज़-ए-हरम का इक समर
एक हूँ मुस्लिम हरम की पासबानी के लिए
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
हक़-परस्ती के लिए जैसे वली उठते हैं
हिफ़्ज़-ए-दीं के लिए फ़रज़ंद-ए-'अली उठते हैं
गुलज़ार देहलवी
नज़्म
निज़ाम-ए-शमस-ओ-क़मर में पयाम-ए-हिफ़्ज़-ए-हयात
ब-चश्म-ए-शाम-ओ-सहर मामता की शबनम सी
फ़िराक़ गोरखपुरी
नज़्म
ऐ काश हो ये कलिमा फिर हिर्ज़-ए-जाँ हमारा
हिन्दी हैं हम वतन है हिन्दोस्ताँ हमारा
ज़ाहिदा ख़ातून शरवानिया
नज़्म
ख़ुदा के चाहने वाले अभी तक भोले-भाले हैं
बना रखा है हिर्ज़-ए-जाँ सदा माज़ी का अफ़्साना
बेबाक भोजपुरी
नज़्म
पेश-रौ शाही थी फिर हिज़-हाईनेस फिर अहल-ए-जाह
बअ'द इस के शैख़ साहब उन के पीछे ख़ाकसार