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नज़्म
उफ़ वो वारफ़्तगी-ए-शौक़ में इक वहम-ए-लतीफ़
कपकपाए हुए होंटों पे नज़र आज की रात
असरार-उल-हक़ मजाज़
नज़्म
उफ़ ये शबनम से छलकते हुए फूलों के अयाग़
इस चमन में हैं अभी दीदा-ए-पुर-नम कितने
जाँ निसार अख़्तर
नज़्म
उफ़ उन भीगी भीगी आँखों में दिल के अरमान
मोतियों जैसे दाँतों में वो गहरी सुर्ख़ ज़बान
मुनीर नियाज़ी
नज़्म
उफ़ मिरी तिश्ना-लबी तिश्ना-लबी तिश्ना-लबी!
कच्ची कलियाँ तिरे होंटों की महक उठती थीं
मुस्तफ़ा ज़ैदी
नज़्म
मार ओ कजदुम के ठिकाने जिस की दीवारों के चाक
उफ़ ये रख़्ने किस क़दर तारीक कितने हौल-नाक
मख़दूम मुहिउद्दीन
नज़्म
ब-ईं इनआम-ए-वफ़ा उफ़ ये तक़ाज़ा-ए-हयात
ज़िंदगी वक़्फ़-ए-ग़म-ए-ख़ाक-नशीनां कर दे
असरार-उल-हक़ मजाज़
नज़्म
सब्ज़ा-ओ-गुल देख कर तुझ को ख़ुशी होती नहीं
उफ़ तिरे एहसास में इतनी भी रंगीनी नहीं
असरार-उल-हक़ मजाज़
नज़्म
उफ़ ये उम्मीद का मदफ़न ये मोहब्बत का मज़ार
इस में देखे हैं तबाही के नज़ारे क्या क्या