आपकी खोज से संबंधित
परिणाम ".jbbi"
नज़्म के संबंधित परिणाम ".jbbi"
नज़्म
फ़र्ज़ करो ये जी की बिपता जी से जोड़ सुनाई हो
फ़र्ज़ करो अभी और हो इतनी आधी हम ने छुपाई हो
इब्न-ए-इंशा
नज़्म
आह लेकिन कौन जाने कौन समझे जी का हाल
ऐ ग़म-ए-दिल क्या करूँ ऐ वहशत-ए-दिल क्या करूँ
असरार-उल-हक़ मजाज़
नज़्म
औरत ने जनम दिया मर्दों को मर्दों ने उसे बाज़ार दिया
जब जी चाहा मसला कुचला जब जी चाहा धुत्कार दिया
साहिर लुधियानवी
नज़्म
सो फ़ौरन बिन्त-ए-अशअश का पिलाया पी गया होगा
वो इक लम्हे के अंदर सरमदिय्यत जी गया होगा
जौन एलिया
नज़्म
जी चाहता है इक दूसरे को यूँ आठ पहर हम याद करें
आँखों में बसाएँ ख़्वाबों को और दिल में ख़याल आबाद करें
अख़्तर शीरानी
नज़्म
जो बात थी इन के जी में थी जो भेद था यकसर अन-जाना
इस बस्ती के इक कूचे में इक 'इंशा' नाम का दीवाना
इब्न-ए-इंशा
नज़्म
ये बातें झूटी बातें हैं ये लोगों ने फैलाई हैं
तुम 'इंशा'-जी का नाम न लो क्या 'इंशा'-जी सौदाई हैं
इब्न-ए-इंशा
नज़्म
क्यूँ जी पर बोझ उठाता है इन गौनों भारी भारी के
जब मौत का डेरा आन पड़ा फिर दूने हैं ब्योपारी के
नज़ीर अकबराबादी
नज़्म
मिरा तो कुछ भी नहीं है मैं रो के जी लूँगा
मगर ख़ुदा के लिए तुम असीर-ए-ग़म न रहो