aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम ".sfud"
और नफ़स की आमद-ओ-शुद दिल की ना-हमवारियों पर बैन करती हैवो सारे ख़्वाब एक इक कर के रुख़्सत हो चुके हैं जिन से आँखें जागती थीं
नफ़स के आमद-ओ-शुद से तलातुमशब-ए-महताब में जैसे समुंदर
साँस की आमद-ओ-शुद थी न कोई जुम्बिश-ए-जिस्मजैसे तस्वीर लगी हो
और अब ये जो मुद्दत से है आमद-ओ-शुद नफ़स कीउसी एक लम्हा की क़ीमत है शायद
कि अपनी ख़ाकिस्तर से फिर पैदा हो जाता हैक्या वो शुद सिकंदरी है
कहा नाई ने अच्छा यक न दो शुदबस अब उड़ जाओ तुम भी बेटे हुद-हुद
मक़्तल में होगी चार-सू हक़ और सच की धूमइक दिन हवा के ज़ोर को होना है ख़त्म-शुद
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