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नज़्म
क्यों न तड़पाए हमें अपने वतन की हालत
सोज़-ए-दिल रखते हैं हम दर्द-ए-जिगर रखते हैं
सरदार नौबहार सिंह साबिर टोहानी
नज़्म
है मिज़ाज उस वक़्त कुछ बिगड़ा हुआ सय्याद का
ऐ असीरान-ए-क़फ़स मौक़ा नहीं फ़रियाद का
राज्य बहादुर सकसेना औज
नज़्म
नुमायाँ रंग-ए-पेशानी पे अक्स-ए-सोज़-ए-दिल कर दे
तबस्सुम-आफ़रीं चेहरे में कुछ संजीदा-पन भर दे
साहिर लुधियानवी
नज़्म
दिल बन चुका है मस्कन-ए-सोज़-ए-ग़म-ए-फ़िराक़
सीना जवाब-ए-बर्क़-ए-तपाँ है तिरे बग़ैर
शैदा अम्बालवी
नज़्म
तमाशे ज़िंदगी-भर तू ने सोज़-ए-दिल के देखे थे
ग़ुबार-ए-रहगुज़र में रास्ते मंज़िल के देखे थे
क़ैसर-उल जाफ़री
नज़्म
मर्हबा ऐ आतिश-ए-दिल आफ़रीं ऐ सोज़-ए-इश्क़
हर-नफ़स में इक हयात-ए-जाविदाँ पाता हूँ मैं
अफ़सर सीमाबी अहमद नगरी
नज़्म
और सुनी बंसी की है बरसों सदा-ए-दिल-नवाज़
दास्तान-ए-दर्द-ए-दिल अफ़साना-ए-सोज़-ओ-गुदाज़
सुरूर जहानाबादी
नज़्म
दिल में हर ज़र्रा के पिन्हाँ है तमन्ना का शरार
क़ल्ब-ए-इंसाँ हामिल-ए-सोज़-ए-तमन्ना क्यों न हो