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नज़्म
इफ़्तिख़ार आरिफ़
नज़्म
शहरयार
नज़्म
भरी न जाएगी अब ख़ाक-ओ-ख़ूँ से माँग कभी
मिलेगी माँ को न मर्ग-ए-पिसर की ख़ुश-ख़बरी
अली सरदार जाफ़री
नज़्म
तू हमेशा रहता है चीं-बर-जबीं अफ़्सुर्दा दिल
फिर किसी की बज़्म-ए-इशरत में न जा बहर-ए-ख़ुदा
नज़्म तबातबाई
नज़्म
सब जिसे इंतिहा कहें तू उसे इब्तिदा समझ
हो न इसी समझ पे ख़ुश यूँही बढ़ाए जा समझ