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नज़्म
लपेटा था नासिर जब जब मुँह सोचा मैं ने
मोहब्बत ही कमज़ोर थी आप की जो नहीं रोक पाई उसे शैख़ साहब
मोहम्मद हनीफ़ रामे
नज़्म
इक लताफ़त इक तरन्नुम इक असर है देखिए
रूह-परवर जाँ-फ़ज़ा लुत्फ़-ए-सहर है देखिए
चौधरी कालका प्रसाद ईजाद बिस्वानी
नज़्म
कहाँ गया वो ज़माना कि जिस की याद में आज
भुलाए बैठा हूँ ख़ुद को पता नहीं मिलता