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नज़्म
जोश-ए-इस्तिग़्ना तिरा तेरे लिए वजह-ए-नशात
शान-ए-ख़ुद्दारी तिरी आईना-दार-ए-एहतियात
मिर्ज़ा मोहम्मद हादी अज़ीज़ लखनवी
नज़्म
जमील मज़हरी
नज़्म
अख़्तरुल ईमान
नज़्म
मैं उन दिनों सोचता था मेरा वजूद आईना-दार ताब-ओ-तवाँ है जिस को
ज़वाल-ए-आमादगी से निस्बत नहीं है कोई
आरिफ़ अब्दुल मतीन
नज़्म
ऐ गुल-ए-रंगीं-क़बा ऐ ग़ाज़ा-ए-रू-ए-बहार
तू है ख़ुद अपने जमाल-ए-हुस्न का आईना-दार
मुईन अहसन जज़्बी
नज़्म
'मीर' का शेर-ओ-नग़्मा तू ने क़दम क़दम पर गाया है
'ग़ालिब' के एहसास ने तेरा आईना चमकाया है
नज़ीर फ़तेहपूरी
नज़्म
रुख़्सत ऐ हम-सफ़रो शहर-ए-निगार आ ही गया
ख़ुल्द भी जिस पे हो क़ुर्बां वो दयार आ ही गया