aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "april"
जनवरी फ़रवरी मार्च में पड़ेगी सर्दीऔर अप्रैल मई जून में हो गी गर्मी
हम दिसम्बर में शायद मिले थे कहीं..!!जनवरी, फ़रवरी, मार्च, अप्रैल....
माह अप्रैल में इम्तिहाँ आएँगेरात-दिन पढ़ के हम पास हो जाएँगे
हम ने बल्ला जो घुमाया तो कई भाग लिएएक चौके ही में अप्रैल मई भाग लिए
मार्च इकतीस अप्रैल तीसमई इकतीस जून में तीस
तुम्हें याद होगातुम ने मुझे पिछले बरस ख़त में अप्रैल भेजा
फ़रोग़-ए-शादाबी-ए-चमन को महकती मिट्टी से फूट निकला है नर्म सब्ज़ाहरीस-ए-तख़्लीक़ नम ज़मीं ने गुलों से दामन उदास बेलों के भर दिए हैं
अप्रैल दस्तक दे रहा हैउस ज़ालिम से कोई कह दे रास्तों की लकीर साफ़ होने लगी है
जनवरी फ़रवरी मार्च अप्रैल मईजब मई आ गया
मेरे ज़ेहन के ख़ज़ाने की ऊपरी सतह को भीकभी न छू पाएगी
जहाँ हर बात ऊपरी और बे-मक़्सदसी लगती है
उसी कच्चे मकाँ के ऊपरी कमरे की दीवारोंसे लिपटी चंद तस्वीरों के रंगों में
जैसे भीतर का एक रूपउस के ऊपरी रूप रंग को खा चुका हो
दिल एक रेत के टीले की तरह दिखाई देने लगता हैलेकिन ये रेत तो बस इस की ऊपरी सतह है
ऊपरी मंज़िल पेघबराया हुआ इक हाफ़िज़ा
और कुछ चाँदनी सी पानी मेंऊपरी सत्ह से बहल तो चुके
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