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नज़्म
एक आग़ोश-ए-हसीं शौक़ की मेराज है क्या
क्या यही है असर-ए-नाला-ए-दिल-हा-ए-हज़ीं
असरार-उल-हक़ मजाज़
नज़्म
न ज़ौक़-ए-तेग़-ए-नाज़ है न शौक़-ए-नावक-ए-नज़र
न नाला-ए-हज़ीं-रसा न आह-ए-सर्द में असर
क़ैसर अमरावतवी
नज़्म
महशरिस्तान-ए-अलम कम्बख़्त है कर दिल को चाक
चीर पहलू को कि निकलें नाला-हा-ए-दर्द-नाक
सुरूर जहानाबादी
नज़्म
दिल है फ़ौलाद का पत्थर का जिगर रखते हैं
जान जोखों में कफ़-ए-दस्त पे सर रखते हैं
सरदार नौबहार सिंह साबिर टोहानी
नज़्म
नया दिन है नए अंदाज़ से महफ़िल में जाम आए
कि साग़र की खनक में ज़ौक़-ए-मस्ती का पयाम आए
मैकश हैदराबादी
नज़्म
अस्र-ए-हाज़िर में है ऐसा साहिब-ए-तदबीर कौन
बज़्म-ए-गीती की बदल सकता है अब तक़दीर कौन
मुनीर वाहिदी
नज़्म
ऐ दिल पहले भी तन्हा थे, ऐ दिल हम तन्हा आज भी हैं
और उन ज़ख़्मों और दाग़ों से अब अपनी बातें होती हैं
साक़ी फ़ारुक़ी
नज़्म
दीद ही दीद है ऐ उम्र-ए-रवाँ कुछ भी नहीं
ये जहाँ कितना हसीं है ये जहाँ कुछ भी नहीं
मसऊद हुसैन ख़ां
नज़्म
दीद ही दीद है ऐ उम्र-ए-रवाँ कुछ भी नहीं
ये जहाँ कितना हसीं है ये जहाँ कुछ भी नहीं
मसऊद हुसैन ख़ां
नज़्म
मेरे इदराक में हैं कुन-फ़यकूँ के असरार
मिरे अशआ'र में है क़ल्ब-ए-हज़ीं की धड़कन