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नज़्म
है मगर आज नज़र में वो बहार-ए-दिल-गीर
कर दिया दिल को फ़रिश्तों ने तरब के तस्ख़ीर
चकबस्त बृज नारायण
नज़्म
आ गया दिल में तिरे 'मीर-तक़ी-मीर' का सोज़
दे गया दर्द की लज़्ज़त तुझे 'दिल-गीर' का सोज़
हबीब जौनपुरी
नज़्म
मुसीबत की घड़ी है दर्द-मंदान-ए-वतन आओ
ख़बर लो ज़ख़्म-ख़ुर्दा ग़म-ज़दा दिल-गीर भारत की
नो बहार साबिर
नज़्म
मंतक़ी काँटे पे रखता है कलाम-ए-दिल-पज़ीर
काश इस नुक्ते को समझे तेरी तब-ए-हर्फ़-गीर
जोश मलीहाबादी
नज़्म
अगर ऐ शम'-ए-दिल जलना ही था तुझ को तो जलना था
किसी बेकस की तुर्बत पर चराग़-ए-नीम-जाँ हो कर