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नज़्म
तमाम-उम्र दिल-ए-ख़ुद-निगर की नज़्र हुई
अधूरे ख़्वाब हैं दामन में तिश्ना-लब बातें
अब्दुल अज़ीज़ ख़ालिद
नज़्म
मोहतसिब के होश उड़ाने का ज़माना आ गया
बे-झिजक पीने पिलाने का ज़माना आ गया
शमीम फ़ारूक़ बांस पारी
नज़्म
कार-फ़रमा फिर मिरा ज़ौक़-ए-ग़ज़ल-ख़्वानी है आज
फिर नफ़स का साज़-ए-गर्म-ए-शो'ला-अफ़्शानी है आज
असरार-उल-हक़ मजाज़
नज़्म
पत्ता पत्ता ख़ुद-ब-ख़ुद ही खो के कुछ पाने लगा
बूटे-बूटे ने निहारा अपना हुस्न-ए-ना-तमाम