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नज़्म
मोहब्बत ही से पाई है शिफ़ा बीमार क़ौमों ने
किया है अपने बख़्त-ए-ख़ुफ़्ता को बेदार क़ौमों ने
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
वो मेरे आसमाँ पर अख़्तर-ए-सुब्ह-ए-क़यामत है
सुरय्या-बख़्त है ज़ोहरा-जबीं है माह-ए-तलअत है
असरार-उल-हक़ मजाज़
नज़्म
वो सितारे जिन की ख़ातिर कई बे-क़रार सदियाँ
मिरी तीरा-बख़्त दुनिया में सितारा-वार जागीं
साहिर लुधियानवी
नज़्म
बद-बख़्त फ़ज़ाएँ किस की हैं बरबाद नशेमन किस के हैं
कुछ हम भी सुनें हम को भी सुना
साहिर लुधियानवी
नज़्म
और बद-बख़्त किसानों की बिलक्ती हुई रूह
अपने अफ़्लास में मुँह ढाँप के सो जाती है