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नज़्म
बिर्ज लाल रअना
नज़्म
रक़्स में पैमाना है ख़ाली नहीं हैं जाम अभी
दिल है सरमस्त-ए-ख़ुमार-ए-बादा-ए-गुलफ़ाम अभी
अली मीनाई
नज़्म
हो अगर हाथों में तेरे ख़ामा-ए-मोजिज़ रक़म
शीशा-ए-दिल हो अगर तेरा मिसाल-ए-जाम-ए-जम
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
बादा-ए-हुब्ब-ए-वतन के जाम भर भर कर पिला
तिश्नगी प्यासों की यूँ साक़ी बुझानी चाहिए
बाबू मुर्ली धर
नज़्म
ये कार-ज़ार-ए-हस्ती है रंज-ओ-ग़म की बस्ती
फिर याद-ए-बज़्म-ए-जम में इक जाम-ए-जम पिला दे
ख़ुशी मोहम्मद नाज़िर
नज़्म
तुम्हें रुस्वा सर-ए-बाज़ार-ए-आलम हम भी देखेंगे
ज़रा दम लो मआल-ए-शौकत-ए-जम हम भी देखेंगे