आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "bagair-e-yak-dil-e-be-mudda.aa"
नज़्म के संबंधित परिणाम "bagair-e-yak-dil-e-be-mudda.aa"
नज़्म
हो गए अक़्ल-ओ-ख़िरद नज़्र-ए-जुनूँ तेरे बग़ैर
दिल है और आठों-पहर इक वहशत-ए-बे-इख़्तियार
जौहर निज़ामी
नज़्म
आसफ़ुद्दौला-ए-मरहूम की तामीर-ए-कुहन
जिस की सनअ'त का नहीं सफ़्हा-ए-हस्ती पे जवाब
चकबस्त बृज नारायण
नज़्म
हो रहा है ये निज़ाम-ए-दहर में क्या इंक़लाब
आज मशरिक़ ही में डूबा जा रहा है आफ़्ताब
नख़्शब जार्चवि
नज़्म
गलियों की शमएँ बुझ गईं और शहर सूना हो गया
बिजली का खम्बा थाम कर बाँका सिपाही सो गया
अहमद नदीम क़ासमी
नज़्म
गलियों की शम'एँ बुझ गईं और शहर सूना हो गया
बिजली का खम्बा थाम कर बाँका सिपाही सो गया