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नज़्म
अपने गुलहा-ए-अक़ीदत पेश करती हूँ तुझे
मुख़्तसर ये है मोहब्बत पेश करती हूँ तुझे
सय्यदा शान-ए-मेराज
नज़्म
फ़र्श के रंगीं सहीफ़े गुलशन-ए-फ़ानी के फूल
जाँ-फ़ज़ा है अर्श-ए-दिल पर ये तिरी शान-ए-नुज़ूल
शमीम फ़ारूक़ बांस पारी
नज़्म
तुम्हें तो दर-हक़ीक़त चैन हासिल हो गया लेकिन
हमारे बहर-ए-ग़म की बे-करानी देखते जाओ