आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "bakhsho"
नज़्म के संबंधित परिणाम "bakhsho"
नज़्म
मेरी महबूब उन्हें भी तो मोहब्बत होगी
जिन की सन्नाई ने बख़्शी है उसे शक्ल-ए-जमील
साहिर लुधियानवी
नज़्म
हुमुक़ की अबक़रिय्यत और सफ़ाहत के तफ़क्कुर ने
हमें तज़ई-ए-मोहलत के लिए अकवान बख़्शे हैं
जौन एलिया
नज़्म
कि जो कुछ भी हमारे पास है सब कुछ तुम्हारा है
अगर सब कुछ ये मेरा है तो सब कुछ बख़्श दो इक दिन
उबैदुल्लाह अलीम
नज़्म
मौत और ज़ीस्त के संगम पे परेशाँ क्यूँ हो
उस का बख़्शा हुआ सह-रंग-ए-अलम ले के चलो