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नज़्म
हसरत जयपुरी
नज़्म
मिनिस्टर मुझ को बनवा दो ख़ज़ाना-जात का मामूँ
हुकूमत ही तुम्हारी है तो डर किस बात का मामूँ
खालिद इरफ़ान
नज़्म
आ कि वाबस्ता हैं उस हुस्न की यादें तुझ से
जिस ने इस दिल को परी-ख़ाना बना रक्खा था
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
नज़्म
किसी तन्नूर के हैज़म की ख़ाकिस्तर ही बनना था
उसे शोला-ज़दा बूदश का इक बिस्तर ही बनना था
जौन एलिया
नज़्म
बराहीमी नज़र पैदा मगर मुश्किल से होती है
हवस छुप छुप के सीनों में बना लेती है तस्वीरें