aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "be-gaar"
शाम होने को हैलाल सूरज समुंदर में खोने को है
ऐ जहाँ देख ले कब से बे-घर हैं हमअब निकल आए हैं ले के अपना अलम
बे-घर कर देना चाहते हो
ख़ुदा भी बे-घर हो गया थातुम
बे-घर है मगरहर घर में है
संसार के सारे मेहनत-कश खेतों से मिलों से निकलेंगेबे-घर बे-दर बे-बस इंसाँ तारीक बिलों से निकलेंगे
क़ाज़ी का पैग़ाम आएगाऔर मुझे बे-घर कर देगा
भरी हुई बैठी है...ओस में तर कोई बे-घर तितली
हम ने बे-घर देखा थाऔर कैसी है वो बच्ची
ख़ाक-बर-सर हुई ज़िंदगीकैसी बे-घर हुई ज़िंदगी
पहले बे-घर पत्ते नाच रहे हैंपूरब वालो देर न करना
सूखे फूलों की टहनी परपतझड़ के झोंकों से उड़ती बे-घर तितली
घोंसले बिखरे टूटे-फूटे हुएउन परिंदों के जो हैं अब बे-घर
कि चेहरों से अटी दुनिया में तन्हा साँस लेतीहाँफती रातों के बे-घर हम-सफ़र
हॉस्टल ता'मीर हो सब के लिएकोई भी इंसाँ न बे-घर-बार हो
उजड़ी ख़्वाब-ओ-ख़याल की दुनियाअपने घरों में सब हैं बे-घर
मगर होती नहीं है शक्ल जिस के साथ जोड़ा जाएउन बे-घर सदाओं को
वो बे-सम्त बे-मंज़र बे-घर हो गया हैलेकिन फिर कभी कभी उसे एहसास होता है
कितना बे-रिश्ता कितना बे-घर कितना बे-वतन कर दिया हैहमें हमारे बच्चों ने!!!
पड़े हैं गेट-वे-आफ़-इंडिया के फ़र्श पर बे-घर भिकारीउधर हैं कुछ जुआरी
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