aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "be-jaan"
थका हारा बे-जान बादल का टुकड़ादरख़्तों चटानों से दामन बचाता
आज वो पड़ा था ला-वारिस सा वो बे-जान शजर
लब बयाबाँ, बोसे बे-जाँकौन सी उलझन को सुलझाते हैं हम?
जिस्म बे-जान है पत्थर सी बनी हैं आँखेंऔर इक ख़ौफ़ का मल्बूस पहन कर कोई
शजर से कट के जो बे-जान हो गई थी शाख़क़लम बनी तो वो दोबारा हो गई ज़िंदा
वो इक बे-जान बादल हैउसे उड़ना तो आता है
बे-जान पत्तों कानौहा सुनाती
जो कोई भी जाँ-दार-ओ-बे-जान मख़्लूक़ के लम्स सेआश्ना तक नहीं हो
फैली हुईबे-जाँ लफ़्ज़ों
आँखें पर्बत की मानिंदबे-जान हैं
उठ मिरी जान मिरे साथ ही चलना है तुझेतू कि बे-जान खिलौनों से बहल जाती है
बे-जान लोहे को पर लग गए हैं
एक बे-जान जिस्म मेंज़िंदगी डाल दी
कितनी हैरान परेशानकितनी बे-नाम बे-जान
मैं एक पत्थरमैं एक बे-जान सर्द पत्थर
किसी बे-जान शय पर भीनज़र नहीं डाली
एक बे-जान से राही की तरहलौटता है
कभी जाम ओ मीना की लिम तक न पहुँचींयही आज इस रंग ओ रोग़न की मख़्लूक़-ए-बे-जाँ
पतंग तेरी जो भीग जाएतो हो के बे-जान
आरज़ू के मुसाफ़िर भीअपने थके-हारे बे-जान पैरों पे
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