आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "be-nazar"
नज़्म के संबंधित परिणाम "be-nazar"
नज़्म
तू नज़र न आए सनम अगर तो तड़प उठें ये दिल-ओ-जिगर
तिरी जुस्तुजू में मिरी नज़र फिरे बे-क़रार डगर-डगर
सदा अम्बालवी
नज़्म
दोस्त कहते हैं तिरे दश्त-ए-वफ़ा में कैसे
इतनी ख़ुशबू है महकता हो गुलिस्ताँ जैसे
अहमद नदीम क़ासमी
नज़्म
जिस पे नाज़ाँ अपने दिल में रावन-ए-बे-पीर था
थे तिलाई बुर्ज जिस के और मुरस्सा बाम-ओ-दर
मुंशी नौबत राय नज़र लखनवी
नज़्म
लफ़्ज़ के अंधे कुएँ में मा'नी का तारा भी आता नहीं है नज़र
लफ़्ज़ गौतम का इरफ़ाँ नहीं
करीम रूमानी
नज़्म
बहुत से भेद ऐसे हैं जिन्हें मेरी नज़र का दूर तक फैला हुआ दामन
अभी तक छू नहीं पाया