आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "be-parda"
नज़्म के संबंधित परिणाम "be-parda"
नज़्म
जिस ने पूरी मुंसिफ़ी की आज तक दुनिया के साथ
ज़ुल्म की दुश्मन है जो इक ज़ुल्म-ए-बे-पर्दा के साथ
जगन्नाथ आज़ाद
नज़्म
तिरी नवा से है बे-पर्दा ज़िंदगी का ज़मीर
कि तेरे साज़ की फ़ितरत ने की है मिज़्राबी!
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
सामने बे-पर्दा आने में नहीं कुछ इज्तिनाब
ये निगाह-ए-मुल्तजी ये भोली भोली गुफ़्तुगू
नख़्शब जार्चवि
नज़्म
बे-पर्दा स्थानों पर दो उड़ते हुए गीतों की तरह
ग़ुस्से में कभी लड़ते हुए कभी लिपटे हुए पेड़ों की तरह
मुनीर नियाज़ी
नज़्म
ये अश्कों से भरी छागल ये बे-पर्दा-ओ-ख़ुद-सर दिल
चटानें दहर की आतिश को छू कर भी नहीं पिघलीं
शफ़ीक़ फातिमा शेरा
नज़्म
हुस्न बे-पर्दा हुआ है इश्क़ आवारा-मिज़ाज
ऐ ग़म-ए-दिल क्या करूँ ऐ वहशत-ए-दिल क्या करूँ
नज़ीर फ़तेहपूरी
नज़्म
तू ने रम्ज़-ए-क़ल्ब-ए-मख़्फ़ी आश्कारा कर दिए
मा'नी-ए-इल्म-ओ-अमल पर्दा से बे-पर्दा किए