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नज़्म
दिल में इक वक़्त-ए-तरब-नाक का अरमान लिए
ख़ुद को यूँ वक़्फ़-ए-ग़म-ओ-गर्दिश-ए-हालात न कर
फ़रीद इशरती
नज़्म
लेकिन ऐ मरकज़-ए-तहज़ीब-ओ-तमद्दुन मुझ को
यूँ कोई फ़िक्र-ओ-ग़म-ए-तल्ख़ी-ए-हालात नहीं
नसीर प्रवाज़
नज़्म
अभी परसों तो है रंगीनी-ए-हालात की छुट्टी
फिर उस के ब'अद पूरे माह है बरसात की छुट्टी
खालिद इरफ़ान
नज़्म
रक़्स के दिन पे चढ़ी गर्दिश-ए-हालात की धूप
रक़्स बे-ख़ुद में मिरा शौक़-ए-जुनूँ शामिल है