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नज़्म
सेहन-ए-चमन पर भौउँरों के बादल एक ही पल को छाएँगे
फिर न वो जा कर लौट सकेंगे फिर न वो जा कर आएँगे
इब्न-ए-इंशा
नज़्म
ये गुलिस्ताँ ये लब-ए-जू ये परिंदों के हुजूम
फूल पर टूट के भौँरों का ये रक़्स-ए-मासूम
महशर बदायुनी
नज़्म
कितने भौँरों के लबों से छिन गया फूलों का रस
कितनी लहरें दामन-ए-साहिल की ज़ीनत बन गईं
सलाहुद्दीन नय्यर
नज़्म
सर्व-क़द मिट्टी के बौनों के क़दम चूमेंगे
फ़र्श पर आज दर-ए-सिदक़-ओ-सफ़ा बंद हुआ
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
नज़्म
भौंरे शबनम की ज़ंजीरें ले कर दौड़े
और बेचैन परों में अन-चखी परवाजों की आशुफ़्ता प्यास जला दी
परवीन शाकिर
नज़्म
ख़ाक से तेरे बदन की ख़ुशबू डाली डाली उड़ती थी
ध्यान का भौंरा फूल की बिखरी पंखुड़ियों को पिरोता था