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नज़्म
ये सच कि सुहाने माज़ी के लम्हों को भुलाना खेल नहीं
ये सच कि भड़कते शोलों से दामन को बचाना खेल नहीं
आमिर उस्मानी
नज़्म
इश्क़ की ज़िद में फ़राएज़ को भुलाना कैसा
ज़िंदगी सिर्फ़ मोहब्बत तो नहीं है अंजुम
जाँ निसार अख़्तर
नज़्म
सच्ची नसीहतों को भुलाना न चाहिए
तुम को किसी फ़रेब में आना न चाहिए
मिर्ज़ा अल्ताफ़ हुसैन आलिम लखनवी
नज़्म
कॉलेज की सरज़मीं थी या नक़्श-ए-दिल-नशीं थी
दिल से ख़याल उस का मुमकिन नहीं भुलाना
ख़ुशी मोहम्मद नाज़िर
नज़्म
पुरानी आदतें हों या पुराने ख़्वाब हों दिल के
नहीं आसान होता है भुलाना उन को ऐ हमदम
डॉ भावना श्रीवास्तव
नज़्म
तुम्हारे साथ भी गुज़री हुई रातों के साए हैं
तआ'रुफ़ रोग हो जाए तो उस का भूलना बेहतर
साहिर लुधियानवी
नज़्म
जिस की उल्फ़त में भुला रक्खी थी दुनिया हम ने
दहर को दहर का अफ़्साना बना रक्खा था