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नज़्म
तुम्हारी आँख में जो ख़्वाब सोए हैं वो मेरे हैं
तुम्हारे अश्क ने जो बीज बोए हैं वो मेरे हैं
ख़लील-उर-रहमान आज़मी
नज़्म
ये बीज अगर डालोगे तुम दिल से उसे पा लोगे तुम
देखोगे फिर इस का मज़ा मेहनत करो मेहनत करो
मोहम्मद हुसैन आज़ाद
नज़्म
जो सदियों के बाद मिली है वो आज़ादी खोए न
दीन धरम के नाम पे कोई बीज फूट का बोए न