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नज़्म
घर में लुग़त न थी कोई जल्दी में उस के बाप ने
बिन्त-ए-सियाह-फ़ाम का चाँदनी नाम रख दिया
खालिद इरफ़ान
नज़्म
भूक और प्यास से पज़-मुर्दा सियह-फ़ाम ज़मीं
तीरा-ओ-तार मकाँ मुफ़लिस ओ बीमार मकीं
साहिर लुधियानवी
नज़्म
दिल मिरा कोह ओ दमन दश्त ओ चमन की हद है
मेरे कीसे में है रातों का सियह-फ़ाम जलाल
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
नज़्म
आलम-ए-दूद-ए-सियह वो ज़ुल्फ़-ए-अम्बर-फ़ाम में
दौड़ने वाले वो शोले हल्क़ा-हा-ए-दाम में
सुरूर जहानाबादी
नज़्म
सियाह ज़ुल्फ़ कि बरसात की हो जैसे घटा
मिज़ाज-ए-सुब्ह-ए-दरख़्शाँ तिरी जबीं की ज़िया
सरताज आलम आबिदी
नज़्म
ये हुजूम-सूरत आसमान-ए-सियाह मेरे अक़ब में है
मैं बड़े बुलंद शजर का फल बड़े फ़ासले का शिकार