aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "bistar-band"
मैं ने उस औरत का जिस्म बिसतर-बंद में लपेट दियाबिसतर-बंद को रेलवे स्टेशन के माल-गोदाम में रखवा दिया
धूप में तोशक फैलानेकपड़े बिसतर-बंद सुखाने
अब वो सफ़र में साथ ले जाने वालेबिसतर-बंद के काम आती है
बकतर-बंद गाड़ी मेंमुसल्लह फ़ौजियों के साथ
बुलडोज़र क़दमों से चलतीकॉलोनी बकतर-बंद नई
फ़ोम के बिस्तर पर इक दीवार उठा दी वक़्त नेअजनबी ना-आश्ना ख़ामोश से रहने लगे
रूप से जिस्म में तब्दील हुईऔर फिर जिस्म से बिस्तर बन कर
मैं समझा था ख़्वाब है लेकिनआँख खुली तो चौंक के देखा
ऐ मिरी प्यारी अम्माँ आनानिन्दिया आई मुझ को सुलाना
शाम के आधे बदन पर थे शफ़क़ के कुछ ग्राफ़दिन चुराने पर तुला था रात का तीरा लिहाफ़
नींद आनी हो तो आ जाती हैतेज़ पंखा हो या बहुत धीमा
रात इक ख़्वाब ने आँखें मिरे अंदर खोलींऔर बिस्तर की शिकन खींच के सीधी कर दी
सजा सजाया ये घर सलीक़े की सारी चीज़ेंतमाम कमरों में किस क़रीने से सज रही हैं
कोई बकतर-बंद गाड़ी या तोप-ख़ानाअपनी हिफ़ाज़त के लिए इस्तिमाल नहीं करती
बर्फ़ बिस्तर बनी हमारे लिएऔर दोज़ख़ के सुर्ख़ रेशम से
तुम जो आते होतो कुछ भी नहीं रहता मौजूद
चेहरे तमाम धुँदले नज़र आ रहे हैं क्यूँक्यूँ ख़्वाब रतजगों की हवेली में दब गए
रोज़ ही बुढ़िया उठ कर क्यों कहती हैप्यास लगी है
एक ख़्वाब-ए-हज़ीमत दुनियाएक आहट दवाम ख़्वाहिश की
ख़ुलूस-ए-दीन को बा'द-अज़-ख़राबी-ए-बिसयारज़माना आज मुकर्रर तलाश करता है
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