aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "buddhuu"
है वो उस्ताद बुरा जो कि जमाए डंडेहै वो शागिर्द भी बुद्धू कि जो खाए डंडे
समझे थे आप है येबुद्धू सी एक बच्ची
मची एक हलचल सी एलान सेकि जीते हैं बुद्धू बड़ी शान से
आप समझती हैं कि जैसेमैं भी हूँ इक बुद्धू बच्ची
कहने लगी तू बुद्धू का बुद्धू ही रहा हैफ़समझे न तिरी आँख ने क़ुदरत के इशारात
दो माह की छुट्टियाँ गईं दो दिन में ही गुज़रबुद्धू तमाम लौट के फिर आए अपने घर
क्या हैं बुद्धूप्यारी चाची
कभी बुद्धूकभी पागल
जान बची सो लाखों पाएबुद्धू अपने घर को आए
हैं हक़ीक़त में मिरे क़स्बे के वो रूह-ए-रवाँदेख कर बच्चे उन्हें कहते हैं ऐ बुद्धू मियाँ
कुछ तो उस को बतलाओगेवर्ना बुद्धू कहलाओगे
वो मालूमात के मैदान के शौक़ीन बूढ़े थेनहीं मालूम मुझ को आम शहरी कैसे होते हैं
ये चेहरा बन्नो बूढ़ी काये टुकड़ा माँ की चूड़ी का
तुझे सुब्ह बाज़ार में बूढ़े अत्तार यूसुफ़की दुक्कान पर मैं ने देखा
इक बूढ़ी अन्ना की तरहआईने को तंबीह करती थी
गाँव में फिर इक मेला आयाबूढ़े बाप ने काँपते हाथों से
सैकड़ों उस के बाज़ार थेएक बूढ़ी ज़ुलेख़ा नहीं
ہو تيرے بياباں کي ہوا تجھ کو گوارا اس دشت سے بہتر ہے نہ دلي نہ بخارا
बेबसी से एड़ियाँ रगड़ते हुएबच्चे बूढ़े लाचार
रहने देबूढ़ी दिल्ली
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