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नज़्म
बिजली के खम्बों पर बल्ब जले भी हों तो क्या हासिल
लफ़्ज़ों से आँखों के रिश्ते टूट चुके
शकील आज़मी
नज़्म
ख़ुतूत लिखे गए जो कभी पोस्ट नहीं हुए
कुछ बल्ब जिन को रौशन करके आप अपनी ख़ुद-कुशी
मुद्दस्सिर अब्बास
नज़्म
ज़रा एडीसन की रूह से पूछो
उस के बल्ब ख़्वाब-गाह और मुर्दा-ख़ाने में ब-यक-वक़्त क्यूँ रौशन होते हैं
अहमद हमेश
नज़्म
मेरे बच्चों ने सजाया है मुझे
रौशनी के नन्हे नन्हे बल्ब टाँके हैं मिरी बाँहों के साथ