आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "buu.nd-do-buu.nd"
नज़्म के संबंधित परिणाम "buu.nd-do-buu.nd"
नज़्म
दो बूँद भी पानी बरसा तो हो जाएगा फ़ौरन रेनी डे
हफ़्ते में तो कम से कम छे दिन इतवार मनाएँगे हम सब
कैफ़ अहमद सिद्दीकी
नज़्म
ज़मीं पर अब्र की हर बूँद को नग़्मे सुनाने दो
फ़लक पर लैली-ए-क़ौस-ए-कुज़ह को मुस्कुराने दो
मोहम्मद सादिक़ ज़िया
नज़्म
हमें बंद कमरों में क्यूँ पिरो दिया गया है
एक दिन की उम्र वाले तो अभी दरवाज़ा ताक रहे हैं
सारा शगुफ़्ता
नज़्म
बूँद लहू की एक रगों में तन भी एक समान
प्रेम पाठ पढ़ाया सब ने गीता हो या पुराण