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नज़्म
मुज़फ़्फ़र हनफ़ी
नज़्म
ये संग-दिल अपनी बुज़-दिली से
फ़िरंगियों की मोहब्बत-ए-ना-रवा की ज़ंजीर में बंधे हैं
aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
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ये संग-दिल अपनी बुज़-दिली से
फ़िरंगियों की मोहब्बत-ए-ना-रवा की ज़ंजीर में बंधे हैं
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