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नज़्म
जोश मलीहाबादी
नज़्म
फिर दिल में दर्द सिलसिला-ए-जुम्बा है क्या करूँ
फिर अश्क गर्म-ए-दावत-ए-मिज़्गाँ है क्या करूँ
जोश मलीहाबादी
नज़्म
ये उजली सी ज़मीं नज़रों की हद से और आगे तक
शजर फैले चले जाते हैं अपनी हद से आगे तक
सूफ़िया अनजुम ताज
नज़्म
जमील मज़हरी
नज़्म
क्यूँ ज़ियाँ-कार बनूँ सूद-फ़रामोश रहूँ
फ़िक्र-ए-फ़र्दा न करूँ महव-ए-ग़म-ए-दोश रहूँ
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
बताऊँ क्या तुझे ऐ हम-नशीं किस से मोहब्बत है
मैं जिस दुनिया में रहता हूँ वो इस दुनिया की औरत है
असरार-उल-हक़ मजाज़
नज़्म
तुझ से जो मैं ने प्यार किया है तेरे लिए? नहीं अपने लिए
वक़्त की बे-उनवान कहानी कब तक बे-उनवान रहे
इब्न-ए-इंशा
नज़्म
तेरे दरिया-ए-करम का जोश गौहर-बेज़ है
तेरी ज़र-अफ़्शाँ ज़मीं का फ़ैज़-ए-मर्दुम-ख़ेज़ है
मयकश अकबराबादी
नज़्म
रहम ऐ नक़्क़ाद-ए-फ़न ये क्या सितम करता है तू
कोई नोक-ए-ख़ार से छूता है नब्ज़-ए-रंग-ओ-बू
जोश मलीहाबादी
नज़्म
धीमी धीमी बहने वाली एक नहर-ए-दिल-नशीं
आब-ए-जू छोटी सी इक नाज़ुक ख़िराम-ओ-नाज़नीं
सुरूर जहानाबादी
नज़्म
मैं कि मय-ख़ाना-ए-उल्फ़त का पुराना मय-ख़्वार
महफ़िल-ए-हुस्न का इक मुतरिब-ए-शीरीं-गुफ़्तार