aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "chashm-e-hamdam"
इस शनासाई का उनवाँ है फ़क़त निकहत-ए-शामचश्म-ए-हमदम की अता-कर्दा ये असाइश-ए-दीद
फिर ये आज़ुर्दगी-ए-ग़ैर सबब क्या मा'नीअपने शैदाओं पे ये चश्म-ए-ग़ज़ब क्या मा'नी
जुदा होने से ऐ हमदमतअ'ल्लुक़ टूट जाएगा
सिवाए शिद्दत के कुछ नहीं हैमगर ऐ हमदम
मर्दुम-ए-चश्म-ए-ज़मीं यानी वो काली दुनियावो तुम्हारे शोहदा पालने वाली दुनिया
सितारे जो दमकते हैंकिसी की चश्म-ए-हैराँ में
ये आलम ये बुत-ख़ाना-ए-चश्म-ओ-गोशजहाँ ज़िंदगी है फ़क़त ख़ुर्द ओ नोश
ब-पेश-ए-ख़िदमत-ए-चश्म-ए-सराब-आलूदाहवा ने दस्त-ए-तलब बार बार रक्खा है
तोड़ लेना शाख़ से तुझ को मिरा आईं नहींये नज़र ग़ैर-अज़-निगाह-ए-चश्म-ए-सूरत-बीं नहीं
चश्म-ए-फ़ुसूँ-गर बीमार
दमकते हुए लबनश्शा-ए-चश्म-ए-फ़ुसूँ-साज़ लिए
मुल्तफ़ित चश्म-ए-हसीनान-ए-जहाँ है इमरोज़कितने तस्लीम लिए कितने ही आदाब लिए
चश्म-ए-बे-ख़्वाब को सामान बहुत
यूँ लगता है जैसे राहत-ए-जाँसपनों के जहाँ में ऐ हमदम
सभी रक़्स करने लगे हैंमिरी चश्म-ए-पुर-नम
ऐ चश्म-ए-हैरत चश्म-ए-तरइबरत की जा है किस क़दर
फिर भी उस की तरफ़ से ऐ हमदममेरे दिल में कोई ग़ुबार नहीं
ये चश्म-ए-रौज़न-ए-दिल बंद कर केआख़िरी उम्मीद का सूरज बुझा कर रख दिया
फिरउदास चश्म-ए-हैराँ
ने'मतें सौ हैं तेरे खाने कोलेकिन ऐ नूर-ए-चश्म-ओ-जान-ए-मन
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