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नज़्म
इब्न-ए-इंशा
नज़्म
बदल दे क़िस्सा-ए-मजनून-ए-पाबंद-ए-सलासिल को
बदल दे दास्तान-ए-कोहना-ए-लैला-ए-महमिल को
बर्क़ आशियान्वी
नज़्म
पी है कहाँ बताऊँ क्या क़िस्सा-ए-ग़म सुनाऊँ क्या
मौत भी राहबर नहीं पी का सुराग़ पाऊँ क्या
साक़िब कानपुरी
नज़्म
निगार-ए-शाम-ए-ग़म मैं तुझ से रुख़्सत होने आया हूँ
गले मिल ले कि यूँ मिलने की नौबत फिर न आएगी
मुस्तफ़ा ज़ैदी
नज़्म
निगार-ए-शाम-ए-ग़म मैं तुझ से रुख़्सत होने आया हूँ
गले मिल ले कि यूँ मिलने की नौबत फिर न आएगी
मुस्तफ़ा ज़ैदी
नज़्म
सुन ऐ फ़रेफ़्ता-ए-क़िस्सा-हा-ए-हिज्र-ओ-विसाल
अमीक़-तर हैं समुंदर से ज़िंदगी के निकात
अफ़सर सीमाबी अहमद नगरी
नज़्म
कहाँ तक क़िस्स-ए-आलाम-ए-फ़ुर्क़त मुख़्तसर ये है
यहाँ वो आ नहीं सकती वहाँ मैं जा नहीं सकता