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नज़्म
बदी पर बारिश-ए-लुत्फ़-ओ-करम नेकी पे ताज़ीरें
जवानी के हसीं ख़्वाबों की हैबतनाक ताबीरें
असरार-उल-हक़ मजाज़
नज़्म
ग़रीबों के लिए सरमाया-ए-लुत्फ़-ओ-करम भी हैं
जो निस्बत आप को 'ग़ालिब' से है उस के तअ'ल्लुक़ से
मसूद अख़्तर जमाल
नज़्म
तिरे लुत्फ़-ओ-अता की धूम सही महफ़िल महफ़िल
इक शख़्स था इंशा नाम-ए-मोहब्बत में कामिल
इब्न-ए-इंशा
नज़्म
हबीब जालिब
नज़्म
तेरा ये लुत्फ़-ओ-करम तेरा ये अंदाज़-ए-नज़र
सख़्त हैराँ हूँ कि मेरे लिए अर्ज़ां क्यों है
बज़्म अंसारी
नज़्म
बुरा क्या था अगर ‘शो'ला’ ही पर लुत्फ़-ओ-करम रहता
किसी टूटे हुए दिल की दु'आ लेती तो अच्छा था
द्वारका दास शोला
नज़्म
'फ़ैज़' दिलों के भाग में है घर भरना भी लुट जाना भी
तुम इस हुस्न के लुत्फ़-ओ-करम पर कितने दिन इतराओगे
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
नज़्म
आनंद नारायण मुल्ला
नज़्म
वो शय दे जिस से नींद आ जाए अक़्ल-ए-फ़ित्ना-परवर को
कि दिल आज़ुर्दा-ए-तमईज़-ए-लुत्फ़-ए-जौर है साक़ी
असरार-उल-हक़ मजाज़
नज़्म
मैं हमा-शौक़-ओ-मोहब्बत वो हमा-लुत्फ़-ओ-करम
मरकज़-ए-मर्हमत-ए-महफ़िल-ए-ख़ूबाँ हूँ मैं