aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "dagaa"
अगर मैं ज़िंदा हूँ तो कैसे आप से दग़ा करूँ?कि तेरे जैसी औरतें, जहाँ-ज़ाद,
मैं पूछता हूँ ये तालीम है कि मक्कारीकरोड़ों ज़िंदगियों से ये बे-पनाह दग़ा
इज़्ज़त हमारे गुज़ारे की बात हैइज़्ज़त के नेज़े से हमें दाग़ा जाता है
मक्र से दग़ा से मैंऐसे दोस्त से भी जो
बिछड़ गए कि दग़ा दे गए शरीक-ए-सफ़रउलझ गया कि वफ़ा का तिलिस्म टूट गया
या-रब तिरे बंदों से क़ज़ा खेल रही हैइक खेल ब-उन्वान-ए-दग़ा खेल रही है
मुझे तक़्सीम कर डालाकिसी ने मेरे माथे पर तिलक दाग़ा
आज इंसान हुआ मक्र-ओ-दग़ा का दफ़्तरक़ल्ब-ए-ज़रदार है एहसास-ए-ख़ुदी का ख़ूगर
ये अश्क हैं मिरे अगरतो मुझ से फिर दग़ा किए
मीज़ाइल दाग़ा जा भी चुकाइक जौहरी रक़्स के थमने तक
फिर बे-ख़बरी हद से गुज़र जाती है मेरीबटता नहीं चल पड़ता हूँ जब अपनी डगर पर
दोस्तों की दग़ा-बाज़ियाँघर के झगड़ों से ज़ख़्मी हुई नफ़सियात
कि जो पालता है उसी की नफ़ी हैकि जो पूजता है उसी से दग़ा है
गर्म गर्म जलते हुए लोहे सेदाग़ा जा रहा हो
कोई और पहलू जाग गयासनातनी आस्था दे गई दग़ा
हम ने सदियों से पाँव को हाथों को सीनों को बे-दर्द मेख़ों से छलनी कियाऔर लहू की तरह सुर्ख़ लोहे से अपनी ज़बानों को दाग़ा
फ़रेब मक्र दग़ा जंग ज़र-गरी तकज़ीबतिरे जुनूँ को नहीं छेड़ती नई तहज़ीब
उतरती रात की भीगी हुई पहनाई में दाग़ातो मेरे पाँव के नीचे ज़मीन चलने लगी
ख़ेमों में हर रात अलाव जलाए जाते हैंऔर ज़ख़्मी जिस्म को दाग़ा जाता है
कड़ी दवा का मीठे ज़हर का फ़र्क़ भूल चुके हैंहम भूल चुके हैं दग़ा के मुस्कुराते चेहरे को
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