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नज़्म
मुख़्तलिफ़ पेच-दर-पेच राहों से गुज़री चली जा रही हैं
सैकड़ों सर कटे धड़ बहुत रास्तों पर पड़े हैं
अख़्तरुल ईमान
नज़्म
धड़-धड़ धड़-धड़ धड़क रही है हर हर छाती मिट्टी की
सरसर सरसर सरक रहे हैं सारे शाने मिट्टी के