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नज़्म
बुतों का ख़ौफ़ रखता है उसे लर्ज़ा ब-तन हर-दम
ख़ुदा के ख़ौफ़ से जिस शख़्स को डरना नहीं आता
अहमक़ फफूँदवी
नज़्म
मस्जिद मंदिर सब के अंदर राज ग़ुलामी करती है
दौलत ले कर नाम ख़ुदा का घर घर धरना धरती है
अनवर साबरी
नज़्म
सुख़न ही क्या फ़सानों का धरा क्या है फ़सानों में
मिरा क्या तज़्किरा और वाक़ई क्या तज़्किरा मेरा
जौन एलिया
नज़्म
हबीब जालिब
नज़्म
या छोड़ें या तकमील करें ये इश्क़ है या अफ़साना है
ये कैसा गोरख-धंदा है ये कैसा ताना-बाना है
इब्न-ए-इंशा
नज़्म
अब कोई घड़ी पल सा'अत में ये खेप बदन की है कफ़नी
क्या थाल कटोरी चाँदी की क्या पीतल की ढिबिया-ढकनी
नज़ीर अकबराबादी
नज़्म
ज़रा देख उस को जो कुछ हो रहा है होने वाला है
धरा क्या है भला अहद-ए-कुहन की दास्तानों में
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
जो भी धारा था उन्हीं के लिए वो बेकल था
प्यार अपना भी तो गँगा की तरह निर्मल था