aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "diip"
दीप जिस का महल्लात ही में जलेचंद लोगों की ख़ुशियों को ले कर चले
कितने दिन में आए हो साथीमेरे सोते भाग जगाने
दिल इक कुटिया दश्त किनारेबस्ती का सा हाल नहीं है
हमेशा देर कर देता हूँ मैंबदलते मौसमों की सैर में दिल को लगाना हो
दीवाली की रात आई है तुम दीप जलाए बैठी होमासूम उमंगों को अपने सीने से लगाए बैठी हो
सुना है एक उम्र हैमुआमलात-ए-दिल की भी
निगाहों का मुक़द्दर आ के चमकाती है दीवालीपहन कर दीप-माला नाज़ फ़रमाती है दीवाली
वो आँख खोले तो दिन बनाएवो मुस्कुराए तो गुल खिलाए
सदा आ रही है मरे दिल से पैहमकि होगा हर इक दुश्मन-ए-जाँ का सर ख़म
और दिन कितने वीराँ होते हैंतुम को क्या है
दिन के उजाले साँझ की लाली रात के अँधियारे से कोईमुझ को आवाज़ें देता है आओ आओ आओ आओ
इस तरह से हँसती हैं आज दीप-मालाएँशोख़ियाँ करें जैसे साथ मिल के बालाएँ
दीवाली के दीप जले हैंयार से मिलने यार चले हैं
दिन ढले देख लिया था कोई उड़ता बादलकुनमुनाती है फ़ज़ा मौसम-ए-बाराँ की तरह
दरून-ए-ख़ाना-ए-दिल में रू-पोश है कहींमेरी सीता
यहाँ तुम्हारी नज़र से भी दीप जल न सकेयहाँ तुम्हारा तबस्सुम भी काम कर न सका
ग़म की सुनसान काली रातों मेंदूर इक दीप टिमटिमाता है
कोई दीप ऐसा जला सकूँजो सितारा बन के दमक सके
जितना गहरा अँधियारा होउतने ऊँचे दीप उभारो
ज़िंदगी से है हैरान यमराज भीआज हर दीप अँधेरे पे है ख़ंदा-ज़न
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