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नज़्म
उँगलियाँ ख़ून से तर दिल-ए-कम-ज़र्फ़ को है वाहम-ए-अर्ज़-ए-हुनर
दिन की हर बात हुई बे-तौक़ीर
उबैदुल्लाह अलीम
नज़्म
घर ऐ दिल-ए-बे-क़रार ज़िंदाँ से कम नहीं क़ैद कौन काटे
हसीन सरमा का चाँद दीवाना-वार को बुला रहा है
अब्दुल अज़ीज़ फ़ितरत
नज़्म
कम-ज़र्फ़ हैं देते हैं तवाइफ़ के जो ता'ने
ऐ ज़ोहरा-जबीं अस्ल में मज़दूर है तू भी
अबुल मुजाहिद ज़ाहिद
नज़्म
ऐ दिल-ए-अफ़सुर्दा ऐ कम-बख़्त ऐ हसरत-नसीब
ऐ फ़रेब-ए-हुस्न के पामाल ऐ फुर्क़त-नसीब
सय्यद आबिद अली आबिद
नज़्म
मज़ाक़-ए-आम सर्फ़-ए-कम-निगाही है तो रहने दो
दिल-ए-शाइ'र की आँखों में अभी तनवीर बाक़ी है
राम प्रकाश राही
नज़्म
जैसे कच्ची नींद से नाज़ुक पपोटों पर वरम
जैसे मीना-ए-तही के दिल में फ़िक्र-ए-बेश-ओ-कम
मयकश अकबराबादी
नज़्म
अक़्ल की इस बज़्म में दीवानगी का काम क्या
ढूँढता है तू यहाँ आ कर दिल-ए-नाकाम क्या
जगन्नाथ आज़ाद
नज़्म
ये कम नहीं है कि तिफ़्ली-ए-रफ़्ता छोड़ गई
दिल-ए-हज़ीं में कई छोटे छोटे नक़्श-ए-क़दम