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नज़्म
किया रिफ़अत की लज़्ज़त से न दिल को आश्ना तू ने
गुज़ारी उम्र पस्ती में मिसाल-ए-नक़्श-ए-पा तू ने
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
कम-बख़्त अजल थी ये जवानी की क़बा में
टुकड़े हैं किसी दिल के भी नक़्श-ए-कफ़-ए-पा में
मख़दूम मुहिउद्दीन
नज़्म
अंदाज़-ए-दिल-फ़रेबी जो तुझ में है कहाँ है
फ़ख़्र-ए-ज़माना तू है और नाज़िश-ए-जहाँ है
तिलोकचंद महरूम
नज़्म
नहीं मुमकिन मिटाना मुझ को मिस्ल-ए-नक़श-ए-पा यारो
ख़लाओं में रहूँगा गूँजता बन कर सदा यारो
सदा अम्बालवी
नज़्म
ज़िंदगी तुझ से तवक़्क़ो तो बहुत थी लेकिन
तिरे फ़ैज़ान-ए-दिल-आवेज़ के दामन में मगर
अफ़ज़ल हुसैन अफ़ज़ल
नज़्म
ब्रिज की ओ पाक-दामन ओ मुक़द्दस नाज़नीं
नक़्श है दिल पर तिरी इक इक अदा-ए-दिल-नशीं
सुरूर जहानाबादी
नज़्म
कृष्ण मुरारी
नज़्म
लब पर नाम किसी का भी हो, दिल में तेरा नक़्शा है
ऐ तस्वीर बनाने वाली जब से तुझ को देखा है
इब्न-ए-इंशा
नज़्म
नया दिन है नए अंदाज़ से महफ़िल में जाम आए
कि साग़र की खनक में ज़ौक़-ए-मस्ती का पयाम आए
मैकश हैदराबादी
नज़्म
मुझे डर है कि कहीं सर्द न हो जाए ये एहसास की रात
नर्ग़े तूफ़ान-ए-हवादिस के हवस की यलग़ार
मख़दूम मुहिउद्दीन
नज़्म
मौसम-ए-सर्मा में ऐ सरमाया-ए-सब्र-ओ-शकेब
बे-सदा तेरा पस-ए-पर्दा था साज़-ए-दिल-फ़रेब
सुरूर जहानाबादी
नज़्म
चाँद निकला है ब-अंदाज़-ए-दिगर आज की शाम
बारिश-ए-नूर है ता-हद्द-ए-नज़र आज की शाम