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नज़्म
मोतिया चम्पा चँबेली अपनी दुनिया से हैं दूर
ऐ सखी मुझ को बता दे हुस्न का क्या है मआल
प्रेम पाल अश्क
नज़्म
धन के मतवाले हैं हम हिर्स-ओ-हवस में चूर हैं
अस्ल में अपनी हक़ीक़त ही से कोसों दूर हैं
प्रेम पाल अश्क
नज़्म
बताता हालत-ए-रफ़्तार-ए-शब सहरा-नशीनों को
नुजूम-ए-चर्ख़ बन कर कारवाँ-दर-कारवाँ हो कर
अहसन अहमद अश्क
नज़्म
इब्न-ए-इंशा
नज़्म
गुल से अपनी निस्बत-ए-देरीना की खा कर क़सम
अहल-ए-दिल को इश्क़ के अंदाज़ समझाने लगीं
सय्यदा शान-ए-मेराज
नज़्म
देखिए देते हैं किस किस को सदा मेरे बाद
'कौन होता है हरीफ़-ए-मय-ए-मर्द-अफ़गन-ए-इश्क़'
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
नज़्म
सेहर ओ एजाज़ लिए जुम्बिश-ए-मिज़्गान-ए-दराज़
ख़ंदा-ए-शोख़ जमाल-ए-दुर-ए-ख़ुश-आब लिए
असरार-उल-हक़ मजाज़
नज़्म
थे बहुत बेदर्द लम्हे ख़त्म-ए-दर्द-ए-इश्क़ के
थीं बहुत बे-मेहर सुब्हें मेहरबाँ रातों के बा'द
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
नज़्म
वहाँ परियाँ मोहब्बत के ख़ुदा के गीत गाती हैं
कनार-ए-आब-ए-हुस्न-ओ-इश्क़ बाहम सैर करते हैं
नज़ीर मिर्ज़ा बर्लास
नज़्म
उस से पोशीदा नहीं हैं राज़हा-ए-हुस्न-ओ-इश्क़
तर्जुमाँ है अहल-ए-उल्फ़त का वो सिर्र-ए-दिल-बराँ