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नज़्म
आग के वो हाए शोले और वो मुखड़ा चाँद सा
लब पे कम कम शोख़ी-ए-बर्क़-ए-तबस्सुम की अदा
सुरूर जहानाबादी
नज़्म
जो बात है वो शोख़ी-ए-गुलदस्ता-ए-चमन
जो लफ़्ज़ है बहार-ए-कफ़-ए-गुल-फ़रोश है
चंद्रभान कैफ़ी देहल्वी
नज़्म
इक हुदी-ख़्वान-ए-मोहब्बत इक नक़ीब-ए-इत्तिहाद
इक फ़िदा-ए-सोज़-ए-नाक़ूस-ओ-अज़ाँ पैदा हुआ
असरार-उल-हक़ मजाज़
नज़्म
ज़िंदा-दिल पंजाब के बेटो तुम्हें मेरा सलाम
तुम परस्तार-ए-गुरू-नानक फ़िदा-ए-कृष्न-ओ-राम
अर्श मलसियानी
नज़्म
कहाँ की ख़ुसरवी आज़ादगी सरमस्ती-ओ-शोख़ी
वही अंधा कुआँ ख़न्नास सौतेले रवय्या का