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नज़्म
महशरिस्तान-ए-अलम कम्बख़्त है कर दिल को चाक
चीर पहलू को कि निकलें नाला-हा-ए-दर्द-नाक
सुरूर जहानाबादी
नज़्म
एक आग़ोश-ए-हसीं शौक़ की मेराज है क्या
क्या यही है असर-ए-नाला-ए-दिल-हा-ए-हज़ीं
असरार-उल-हक़ मजाज़
नज़्म
गर्मी-ए-आरज़ू फ़िराक़! शोरिश-ए-हाव-ओ-हू फ़िराक़!
मौज की जुस्तुजू फ़िराक़! क़तरे की आबरू फ़िराक़!
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
ज़िंदगी का आइना ये है तिरे फ़न का कमाल
है उधर हद्द-ए-फ़लक तक तेरी पर्वाज़-ए-ख़याल
ओम प्रकाश बजाज
नज़्म
ऐ दिल-ए-काफ़िर इज्ज़ से मुनकिर आज तिरा सर ख़म क्यूँ है
तेरी हटेली शिरयानों में ये बेबस मातम क्यूँ है
फ़हमीदा रियाज़
नज़्म
कि दाएरे तो हैं तीन सौ साठ डिग्रियों की फ़सील ऐसी
नहीं है राह-ए-फ़रार जिस में