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नज़्म
नाफ़ा-ए-मुश्क-ए-ततारी बन कर लिए फिरी मुझ को हर-सू
यही हयात-ए-साइक़ा-फ़ितरत बनी तअत्तुल कभी नुमू
अख़्तरुल ईमान
नज़्म
ऐ गुल-ए-नाज़ुक-अदा, ऐ ख़ंदा-ए-सुब्ह-ए-चमन
चूमती है तेरे होंटों को नसीम-ए-मुश्क-ए-तन
मुईन अहसन जज़्बी
नज़्म
असरार-उल-हक़ मजाज़
नज़्म
गुल-ए-सहर की न गेसू-ए-शाम की ख़ुशबू
फ़ज़ा फ़ज़ा में है तेरे कलाम की ख़ुशबू
मसूद मैकश मुरादाबादी
नज़्म
ज़िया-ए-ख़ामोश के सुकूत-आश्ना तरन्नुम में घुल रहा है
कि उक़्दा-ए-गेसू-ए-शब-ए-तार खुल रहा है
कृष्ण मोहन
नज़्म
ख़्वाहिश-ए-साया-ए-गेसू-ए-परेशाँ ही नहीं
जन्नत-ए-आरिज़-ओ-लब की भी तमन्ना न करूँ