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नज़्म
मेरे कान में ये नवा-ए-हज़ीं यूँ थी जैसे
किसी डूबते शख़्स को ज़ेर-ऐ-गिर्दाब कोई पुकारे!
नून मीम राशिद
नज़्म
हम तिरे सब से बड़े हल्क़ा-ए-अहबाब में हैं
फिर भी तूफ़ाँ से निकलते नहीं गिर्दाब में हैं
खालिद इरफ़ान
नज़्म
जोश मलीहाबादी
नज़्म
पसीने से गिर्दाब-ए-साहिल हुआ है?
ये ला का सफ़र ला रहेगा कि कुछ इस का हासिल हुआ है
अख़्तरुल ईमान
नज़्म
अमजद इस्लाम अमजद
नज़्म
गिर्दाब में क़ौम की कश्ती थी तूफ़ान बपा थे आफ़त के
नेशन का बेड़ा साहिल पर लगवा दिया गाँधी बाबा ने
आफ़ताब रईस पानीपती
नज़्म
वो सुनते रहते हैं बस हुक्म-ए-हाकिमान-ए-जहाँ
तवाफ़ करते हैं अर्बाब-ए-गी-ओ-दार के गिर्द
अली सरदार जाफ़री
नज़्म
तेरी इक इक मौज थी जब आह तूफ़ाँ-कोश-ए-शौक़
हल्क़ा-ए-गिर्दाब था जब हाला-ए-आग़ोश-ए-शौक़