aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "gire"
तो चाँद रातों की नर्म दिल-गीर रौशनी मेंकिसी सितारे को देख लेना
ये चंद लम्हों के ज़र्द पत्तेगिरे हैं और तेरे गेसुओं में
इन रोटियों के नूर से सब दिल हैं बोर बोरआटा नहीं है छलनी से छन-छन गिरे है नूर
ज़िंदगी के पेड़ सेएक पत्ता और गिर कर
गिरे बढ़े मुड़े भँवर हुजूम केखड़ी हैं ये भी रास्ते पे इक तरफ़
जिस तरह बंद दरीचों पे गिरे बारिश-ए-संगऔर दिल कहता है हर बार चलो लौट चलो
चाँदनी रात में छतरी ले कर बाहर जाया करते थेओस गिरे तो कहते हैं वाँ सर फट जाया करते थे
तमाम फूलों से फूटते रंगवहशतों में घिरे
कितना छोटा है मिरा क़द...फ़र्श पर जैसे किसी हर्फ़ से इक नुक़्ता गिरा हो
दिनों की टूटी हुई सलीबें गिरी पड़ी हैंशफ़क़ की ठंडी चिताओं से राख उड़ रही है
हज़ार बर्क़ गिरे लाख आँधियाँ उठेंवो फूल खिल के रहेंगे जो खिलने वाले हैं
आप ही आप सब ख़ाक में आ गिरेऔर सय्याद ने गुमाँ भी न की
तुम्हारे लिए एक रंगीन महफ़िल जमाई हुई हैअनोखा सा ऐवान है हर तरफ़ जिस में पर्दे गिरे हैं वहाँ जो भी हो उस को
उन की नज़रों से गिर चुकी हैंअब उन की औलाद उन की रेशा-दवानियों से पनाह
गिरे हुए सितारों कोदोबारा आसमान में टाँकते
नए शिवाले में जा कर किसी के तेशे नेबहुत से बुत तो गिराए बहुत से बुत न गिरे
जंग से जले दुनिया चाँद को चले पागलआँख पर गिरे बिजली कान में पड़े काजल
चमकते हुए पानियों में घिरे हैंजहाँ लड़कियाँ
सड़क मसाफ़त की उजलतों मेंघिरे हुए सब मुसाफ़िरों को
जिस तरह जाए तोप का गोलाया गिरे आसमान से ओला
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