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नज़्म
ये कस दयार-ए-अदम में मुक़ीम हैं हम तुम
जहाँ पे मुज़्दा-ए-दीदार-ए-हुस्न-ए-यार तो क्या
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
नज़्म
मैं कि जो महसूर हूँ आराम-ए-हुस्न-ए-यार में
इक हिफ़ाज़त सी है मुझ को जिस्म की महकार में
मुनीर नियाज़ी
नज़्म
जमाल-ए-हुस्न-ए-यार की वफ़ा भी क्या ही ख़ूब थी
कमाल-ए-दिलबरी की वो अदा भी क्या ही ख़ूब थी
अशफ़ाक़ अहमद साइम
नज़्म
उस से पोशीदा नहीं हैं राज़हा-ए-हुस्न-ओ-इश्क़
तर्जुमाँ है अहल-ए-उल्फ़त का वो सिर्र-ए-दिल-बराँ
प्रेम लाल शिफ़ा देहलवी
नज़्म
यही वादी है वो हमदम जहाँ 'रेहाना' रहती थी
यहीं हम-रंग-ए-गुल-हा-ए-हसीं रहती थी 'रेहाना'
अख़्तर शीरानी
नज़्म
मेरी तख़्ईल में है एक जहान-ए-बेदार
दस्तरस में मिरी नज़्ज़ारा-ए-गुल-हा-ए-चमन
ख़लील-उर-रहमान आज़मी
नज़्म
रंग-ए-गुल-हा-ए-गुलिस्तान-ए-वतन तुम से है
सोरिश-ए-नारा-ए-रिंदान-ए-वतन तुम से है
असरार-उल-हक़ मजाज़
नज़्म
उस का जल्वा है अयाँ गुल-हा-ए-रंगा-रंग से
सब्ज़े में शाख़ों में घर उस ने किया सौ ढंग से
हामिद हसन क़ादरी
नज़्म
मुजरिम-ए-सरताबी-ए-हुस्न-ए-जवाँ हो जाइए
गुल-फ़िशानी ता-कुजा शोला-फ़िशाँ हो जाइए